Showing posts with label poetry. Show all posts
Showing posts with label poetry. Show all posts

Friday, August 11, 2017

चीकू को समर्पित

नींद आती ना रातों में, अब कोई ख्वाब ना आयेगा
हमें उतार चुका मन से, अब कोई और ही आयेगा

जानता हूं हक़ीक़त सब, मगर मंज़ूर नहीं होता
ज़हन कहता है कुछ दिन में, फिर वो लौट आयेगा!!

~आवारा ~

Tuesday, August 8, 2017

चीकू को समर्पित

इल्ज़ाम मेरे सिर पर, हर मसले का आता है
गुनाह जो किया नहीं मैंने, वो थोपा जाता है

मेरी बेगुनाही के गवाह ख़ामोश है अब तो
मेरा वकील ही मुझको, गुनाहगार बताता है!

~आवारा ~

Saturday, August 5, 2017

चीकू को समर्पित

कभी अपनी सी लगती है, कभी बेगानी लगती है,
बहुत लड़ती-झगड़ती है, बड़ी मनमानी करती है,

उसकी आंखों में सिमट आती झलक दुनिया के हर रिश्ते कि..
वो अपना दोस्त कहती हैं, मुझे ज़िंदगानी लगती है!!!

*~ आवारा~*

चीकू को समर्पित

तुझे अपना समझता हूँ, तभी नसीहतें करता हूँ,
मतलब नहीं ईसका,सयाना खुद को समझता हूँ,

पाया जो तज़़ुर्बा मैंने अपनी नादानी से,
तू महफूज रहे उन से, मैं जिन कांटों से गुज़रा हूँ!!!

~ *आवारा* ~