आज एक प्रेमी युगल का दिल्ली में आर्य समाज विधि से विवाह कराया, कराने का विशुद्ध मकसद था कुछ पैसे कमाना,
परन्तु परिस्थितियों ने विचित्र ढंग से पलटा खाया और मुझे लड़की का पिता बन कर उसका कन्यादान करना पड़ा।।
यद्यपि आयु के लिहाज़ से ये असंगत था परन्तु परिस्थितियों के चलते यही उचित था।।
एक अद्धभुत सा अनुभव अचेतन को तरंगित कर रहा है।।
जीवन में ऐसे प्रेमी युगलों हेतु विवाह कराने हेतु उनके पास कम पैसों के बावजूद समपूर्ण विधि विधान तथा कुछ व्यवहारिक सुविधाओं की उपलब्धता के साथ एक ऐसे संस्थान की स्थापना करना चाहूँगा जहाँ ऐसे बच्चे अपने प्रेम को विवाह तक ले जा सकें।
मेरा उद्देश्य ऐसे युगलों से धन कमाना नही उनका वैवाहिक जीवन स्थापित कराना होगा।।
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